ग़ाज़ियाबाद में हुआ पसमांदा मुस्लिम समाज का कार्यकर्ता सम्मेलन
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गाजियाबाद । आज दिनांक 28/08/2022 को एफ ब्लॉक् पार्क प्रताप विहार गाज़ियाबाद में पसमांदा मुस्लिम समाज कार्यकर्ता सम्मलेन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व राज्य मंत्री माननीय अनीस मंसूरी उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम का उद्घाटन संगठन के राष्ट्रीय संगठन मंत्री मौलाना इलियास मंसूरी ने किया। कार्यक्रम का संचालन ज़मीर अहमद खान मंसूरी प्रवक्ता पसमांदा मुस्लिम समाज ने किया। कार्यक्रम आयोजक पसमांदा मुस्लिम समाज के जिलाध्यक्ष शौक़ीन सैफी ने सभी मेहमानों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। कार्यकर्ता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए अनीस मंसूरी ने कहा कि
देश में मुसलमानों की कुल आबादी का 85 प्रतिशत मुसलमान पसमांदा हैं जिन्हें आज़ादी के बाद भी सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलता था जिसे 10 अगस्त 1950 के प्रेसिडेंशियल आर्डर के ज़रिए खत्म कर दिया गया। ये आज़ाद भारत की एक बड़ी घटना थी, जिसके बाद पसमांदा मुसलमानों के हालात बदतर होते गये।हालात ये हैं कि अभी तक पसमांदा मुसलमानों की एक बड़ी आबादी पिछड़ा व आदिवासी घोषित होने से वंचित हैं जिसमें सावंत, भाँट,( रहमानी)गौरिया,नालबंद, गधेडी, आतिशबाज़ और जागा प्रमुख हैं।
1- सैफी ( बढ़ई /लोहार )
2-मंसूरी (धुनिया/नद्दाफ )
3-कसगर (कुम्हार )
4-राईन ( कुन्जड़ा )
5-गूजर( किसान )
6-गद्दी( दुग्ध ब्यापार )
7-घोसी( पशु ब्यापार )
8-क़ुरैशी( चिकवा/ कसाई)
9-छीपी ( छपायी )
10-जोगी ( भिकच्छा )
11-झोजा( किसान )
12-हाशमी(ढफाली )
13-तमोली
14- तेली( मलिक/ सामानी, रोग़नगर )
15-अर्राक ( इत्र ब्यापार )
16- इदरीसी ( दर्ज़ी)
17-नायक ( बंजारा )
18- फकीर(शाह/अल्वी)
19-मुकेरी( घी एवं दुग्ध ब्यापार )
20- मकरानी( घी एवं ब्यापार )
21- अंसारी (जुलाहे )
22-बारी( किसान )
23- मनिहार (शीशगर/सौदागर)
24-मिरासी ( सपेरे )
25-मुस्लिम कायस्थ
26-रंगरेज ( रंगने का कार्य )
27-सुनार
28- हलाल ख़ोर (लालबेगी/ मेहतर)
29- तामची (ठठेरा )
30-हलवाई
31-सलमानी ( नाई)
32-अब्बासी( भिश्ती)
33-मशालची
34-कस्सार ( धोबी)
35- जाट ( किसान )
36- नानबाई
37- मीर शिकार(बहेलिया )
38- पवंरिया
39- शेख सरवरी
40-मेवाती/मेव
41-संगतराश( हशीरी)
42- माली (बागबान )
43-बंजारा
44-गाड़ा (किसान )
45- नट (कालाबाज़ )
46- भटियारा( फारूकी खाँसामा )
47-मोची
48-माहीगीर( मछुआरा )
49-कलन्दर (मदारी )
50-कलाल आदि के पुश्तैनी कारोबार समाप्त हो गये हैं, जिससे उनके सामने रोज़ी - रोटी का संकट पैदा हो गया है। हमारे बच्चों की तालीम(शिक्षा) संभव नहीं हो पा रही है। रोज़गार खत्म हो गये हैं।पसमांदा मुसलमानों की बदहाली की कड़वी सच्चाई का ज़िक्र मा.राजेंद्र सच्चर आयोग एवं मा. रंगनाथ मिश्रा आयोग ने अपनी रिपोर्ट में किया है।भारत की आज़ादी का इतिहास हमारे लोगों के ख़ून से भी लिखा गया है फिर भी हमारी हालात ऐसे क्यों है इसकी जवाबदेही भी तय होनी चाहिए। केंद्र और राज्य सरकारों के अंदेखी के चलते पसमांदा मुसलमानों के पुश्तैनी धंधे /कुटीर उद्योग मृत्युशैय्या पर पड़े कराह रहे हैं जिनकी आवाज़ केंद्र और राज्य की गूंगी बहरी सरकारों को सुनाई नहीं देती। पसमांदा मुस्लिम समाज के पिछड़ेपन के ज़िम्मेदार तत्कालीन सरकार मे बैठे वह अशराफ मुसलमान भी हैं जिन्होंने धारा 341के पैरा 3 पर धार्मिक प्रतिबंध का विरोध नहीं किया। आज पसमांदा मुस्लिम समाज के पिछड़ेपन के ज़िम्मेदार वह पिछड़ी बिरादरियां भी हैं जो अपने अधिकारों की प्राप्ति के लिए संघर्ष करने वाली संस्थाओं का साथ भी नहीं देते हैं। पसमांदा मुस्लिम समाज के सभी ज़िम्मेदार लोग जो अपनी बिरादरियों के लीडर हैं मैं उन सभी से एक साथ मिलकर संविधान में प्राप्त अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए पसमांदा मुस्लिम समाज का साथ दें।
पसमांदा मुस्लिम समाज की मुख्य मांगे।
1- उत्तर प्रदेश के साथ- साथ पूरे देश में कर्पूरी ठाकुर फार्मूला के अनुसार अन्य पिछड़े वर्ग कोटा में अतिपिछड़ा वर्ग के लिए अलग से आरक्षण की व्यवस्था लागू किया जाये और पसमांदा (पिछडे़ ) अधिसूचित मुस्लिम जातियों को प्राथमिकता के आधार पर सबसे ऊपर रखा जाये और खाली जगहों में बैक लाग के द्वारा भर्ती किया जाये।
2 - औद्योगिककरण के चलते पसमांदा मुस्लिम समाज जिसके अन्तर्गत दस्तकार/कारीगर/मज़दूर तबके के लोग आते हैं इनकी बेरोजगारी में इजाफा हुआ है और भुखमरी के शिकार हो रहे हैं, नव उदारवादी और अंधाधुंध मशीनीकरण की नीतियों के कारण इन तबकों में बेरोज़गारी बढ़ी है इस सम्बन्ध में लघु उद्योग का विकास ग्रामीण/कस्बा /नगर/ महानगर स्तर पर विकसित किया जाये ताकि दस्तकारों को रोज़गारमिल सके।
3 -दलित मुसलमानों/ ईसाइयों को संविधान की धारा- 341 के 1950 के राष्ट्रपति महोदय के आदेश के पैरा-3 को रद्द करके एस0सी0/एस0टी0 के समान सभी स्तर पर आरक्षण सुनिश्चित किया जाये। माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने अपने एक फैसले में कहा है कि जो जातियाँ आरक्षण के द्वारा नौकरियों में अपना 50 प्रतिशत प्राप्त कर चुकी हैं उन्हें ओबीसी आरक्षण से बाहर किया जाना चाहिए।सरकार को इस पर ईमानदारी से काम करना होगा।
4 - अल्पसंख्यकों के विकास हेतु आवंटित बजट का 80 प्रतिशत पसमांदा मुसलमानों के शैक्षिक सामाजिक एवं आर्थिक विकास पर खर्च किया जाना तय किया जाये।
5 - पसमांदा मुसलमानों के संरक्षण के लिए एस 0सी0, एस 0टी0 कानून की भांति कानून बनाना आवश्यक हो गया है। सरकार इस बिंदु पर विचार करे।
6 - पसमांदा मुसलमानों के कारोबार पर उचित नीतियां बनायी जानी चाहिए। इनके उत्पाद ब्रांडेड नहीं होने के कारण एवं बाज़ारीकरण की दौड़ में पिक्षड़ गये हैं। सरकार को विशेष व्यवसायिक, तकनीकी एवं औद्योगिक प्रशिक्षण देकर इन कामगार तबके को स्किल्ड बनाना होगा। सरकारी उपेक्षा के कारण मुस्लिम वक्फ सम्पत्तियों पर माफियाओं का क़ब्ज़ा होता जा रहा है। खरबों की वक्फ सम्पत्तियाँ बेकार पड़ी हैं।मुसलमानों को वक्फ सम्पत्तियों को जो खरबों रूपये की क़ीमत की हैं पसमांदा मुसलमानों की बेहतरी के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
$ संसाधन सीमित हैं इसलिए पसमांदा मुसलमानों को बैंकों से आसानी से कारोबार के लिए धन उपलब्ध कराया जाए। पसमांदा मुस्लिम समाज आज भी मुफ्त राशन, अवास, और शौचालय बिना भेदभाव के मिलने के कारण बडी तादाद में भाजपा को मतदान करता है इसलिए उनके उत्थान हेतु विशेष कार्य योजना बना कर लाभाविंत किया जाना चाहि।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री महबूब आलम अंसारी ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष पूरे हो गए हैं। हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं यह भी सार्थक होगा। जब केंद्र और राज्य की सरकारें कमजोर तबके के उत्थान के लिए उनके हित में काम करेंगी और उन्हें राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य करेंगी। राष्ट्रीय प्रवक्ता ज़मीर अहमद ने कहा कि अब पसमांदा मुस्लिम समाज जागरूक हो रहा है उन्हें भी अपना हक़ हुकुक चाहिए और शासन सत्ता में भागीदारी चाहिए। जो उनके लिए काम करेगा समाज उन्हें सत्ता में पहुंचायेगा। उनके लिए कोई भी राजनीतिक दल अछूत नहीं है और न पसमांदा मुस्लिम समाज अब किसी का बंधुआ मज़दूर है।
इस सम्मलेन में संगठन के अन्य वक्ताऊं ने भी अपने अपने विचार पसमांदा समाज की भलाई और उनके उत्थान के बारे में रक्खे। सम्मलेन में मेरठ मण्डल और सहारनपुर मण्डल के पदाधिकारियों ने भाग लिया। सहयोगी संगठन बेटी रक्षादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नवाबुद्दीन सिद्दीकी और उनकी कार्यकारिणी के सादयों ने माननीय अनीस मंसूरी का पगड़ी पहना कर ज़ोरदार स्वागत किया। इस अवसर पर प्रमुख पदाधिकारी और समाजसेवी उपस्थित रहे। संगठन को मज़बूत बनाने के लिए और सदस्यता अभियान में तेज़ी लाने के लिए पसमांदा बिरादरियों के प्रतिनिधित्व पर ज़ोर दिया गया जिस के तहत कुछ सामाजिक प्रतिनिधियों को संगठन में महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी दी गयी जिसमें जिलाध्यक्ष शौक़ीन अहमद सैफी, जिलाध्यक्ष, जिला महासचिव ज़ुल्फीकार अली, दिलशाद खान मंसूरी को संगठन मंत्री मेरठ मण्डल, ज़ाहिद खान रंगरेज़ को जिला संगठन सचिव बनाया गया। इस कार्यकर्त्ता सम्मेलन में विशेष आमंत्रित सदस्यो ने भाग लिया और पसमांदा समाज के नेताओं के विचारों को सुना और उनके साथ हुए भेद भाव को दूर करने के केंद्रऔर राज्य सरकारों को गंभीरता से लेने और उन्हें प्राथमिकता पर दूर करने पर बल दिया ।
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