योगी राज में जिला ग़ाज़ियाबाद में कायम हुआ अल्पसंख्यक अधिकारी अमृता सिंह का गुंडा राज, भ्रष्टाचार में लिप्त अल्पसंख्यक अधिकारी अमृता सिंह और उनके भूमाफिया साथियों का जेल जाने का रास्ता साफ

  • ग़ाज़ियाबाद जिले में फर्जी एफआईआर दर्ज कराने का खेल जारी
  • जिले के अधिकारियों द्वारा की गई लापरवाही का नतीजा
  • अल्पसंख्यक अधिकारी ग़ाज़ियाबाद ने किया  फर्जीवाड़ा,
  • एक ही दुकान को दो अलग अलग लोगों की सम्पत्ति बताकर लिखाई दो अलग अलग एफआईआर
  • योगी राज में जिला ग़ाज़ियाबाद में कायम हुआ अल्पसंख्यक अधिकारी अमृता सिंह का गुंडा राज
  • योगी जी की सरकार को पूरी तरह बदनाम करने में लगी है ग़ाज़ियाबाद की अल्पसंख्यक अधिकारी
    • नियम कानून संविधान और कोर्ट कोई मायने नही रखता इनके आगे ।
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    9 बाई 25 फिट की दुकान को मस्जिद 925 की बताकर लिखाई गयी एफआईआर की अमर उजाला की खबर


    उसी 9 बाई 25 फिट की दुकान को नदीमुद्दीन की पुश्तैनी बताकर लिखाई गयी एफआईआर की अमर उजाला की खबर  


    ग़ाज़ियाबाद ।  पिछले काफी समय से राजेन्द्र गुप्ता की दुकान को लेकर श्रीमति अमृता सिंह द्वारा अपने भूमाफिया साथियों नदीमुद्दीन व हिस्ट्रीशीटर नाजिम के साथ मिलकर विवाद किया जा रहा है और राजेंद्र की दुकान संख्या - 105 के बराबर वाली भूमि 104 में स्थित एक दुकान को नदीमुद्दीन की पुश्तैनी बताकर अमृता सिंह ने थाना कोतवाली में सोहराब खान उर्फ रमन के नाम से मुकदमा अपराध संख्या - 1043 / 2021 राजेन्द्र गुप्ता व सतीश चोपड़ा व अन्य के खिलाफ दर्ज कराया था । 

    भवन संख्या 104 की नदीमुद्दीन की पुश्तैनी सम्पत्ति बताकर सोहराब के नाम से थाना कोतवाली में लिखी गयी एफआईआर
     

          अब दिनांक 07/03/2021 को राजेन्द्र गुप्ता के बराबर वाली 104 में स्थित उसी 9 बाई 25 फिट की दुकान को नई मस्जिद वक़्फ़ संख्या - 925 की सम्पत्ति बताकर थाना सिहानी गेट में एफआईआर ( मुकदमा अपराध संख्या - 104 / 2021 ) दर्ज करा दी है )।

    मस्जिद वक़्फ़ 925 की बताकर एक्रोचर नसीरुद्दीन की ओर से लिखाई गयी एफआईआर

     

          एक बात साफ हो गयी है कि जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी  श्रीमति अमृता सिंह द्वारा 9 बाई 25 फिट की एक ही दुकान को दो अलग अलग लोगों की सम्पत्ति लिखकर एफआईआर कराने से अल्पसंख्यक अधिकारी अमृता सिंह का और उनके भूमाफिया साथियों का जेल जाने का रास्ता साफ हो गया है ।
           हैरानी इस बात की भी है कि जो नसीरुद्दीन और वसीमुद्दीन मस्जिद 925 की सम्पत्ति पर नाजायज कब्जा किये हुए है उन्ही एक्रोचर के नाम से मस्जिद समिति के लोगों के खिलाफ फर्जी एफआईआर दर्ज करायी जा रही है । जबकि मस्जिद की कोई जमीन न तो किसी के द्वारा बेची गयी है और न ही मस्जिद की किसी जमीन की किसी के द्वारा कोई GPA लिखी गयी है ।

             आपको बताते चलें कि अल्पसंख्यक अधिकारी ग़ाज़ियाबाद श्रीमति अमृता सिंह का कार्यालय उनके भूमाफिया साथी नदीमुद्दीन व हिस्ट्रीशीटर नाजिम ही चला रहे है । नदीमुद्दीन जो लिखकर लाता है उसको अमृता सिंह द्वारा एफआईआर दर्ज कराने के लिए थाने को भेज दिया जाता है ।


    भवन संख्या 104 नदीमुद्दीन की पुश्तैनी सम्पत्ति बताकर सोहराब के नाम से थाना कोतवाली में लिखी गयी एफआईआर



              श्रीमति  अमृता सिंह के भ्रष्टाचार को उजागर करने व उसकी खबर लिखने की दुश्मनी में अमृता सिंह द्वारा समीर शाही को पूर्व नियोजित योजना के तहत फंसाने का प्रयास किया गया है ।  

              ये बात किसी से छिपा नही है कि श्रीमति अमृता सिंह द्वारा अपने भूमाफिया साथियों के साथ मिलकर पूरे ग़ाज़ियाबाद के हजारों करोड़ की वक़्फ़ सम्पत्तियों पर अवेध कब्जा व अवैद्ध निर्माण कराया गया है और कराया जा रहा है और यही कारण है कि 10 साल ग़ाज़ियाबाद में तैनात रहने के बावजूद जनपद ग़ाज़ियाबाद से श्रीमति अमृता सिंह का मोहभंग नहीं हो पा रहा है । सोचने वाली बात है इतनी बड़ी मात्रा में अवैद्ध कब्जा व अवैद्ध निर्माण श्रीमति अमृता सिंह द्वारा कोई मुफ्त में तो कराया नही गया होगा ।  
           आपको बताते चलें कि वक़्फ़ सम्पत्तियों के पदाधिकारियों को ब्लैकमेल करके व मुतवल्लियों पर एफआईआर का भय दिखाकर उनकी आवाज को दबाकर इन लोगों ने लाखों करोड़ों की उगाही की है और इस उगाही में कई माननीय व नामचीन लोगों के साथ साथ एक प्रतिष्ठित अखबार के एक संपादक व रिपोर्टर व कलेक्ट्रेट के कई बाबू भी शामिल बताए जा रहे है ।  जिनके हांथ वक़्फ़ सम्पत्तियों की दलाली से रंगे हुए है ।  इसका खुलासा अगली खबर में किया जाएगा ।
              

                फिलहाल आप लोग खबर का आनंद लें ।

    खबर का उनवान है -  एक ही दुकान को  दो अलग अलग लोगों की सम्पत्ति बताकर बेचने की दो - दो एफआईआर ।

    पूरे जिले का कोई अधिकारी सुध लेने वाला नहीं ।। एक माननीय के कारण ।।

    हो सकता है इस वास्तविक खबर को पढ़ कर कुछ अधिकारी नाराज भी हो जाएं लेकिन सच्चाई यही है ।

    इससे भी अलग एक सच्चाई यह भी है कि यदि वक़्फ़ सम्पत्ति की कोई खरीद बिक्री होती भी है तो उसके लिए वक़्फ़ अधिनियनम में धारा - 52क का प्रावधान है जिसकी पुष्टि खुद मेरठ के एसएसपी व जनपद न्यायधीश व शासकीय अधिवक्ता के द्वारा की गई है ।  पत्र देखे और सच्चाई देखें ।। इससे यह पूर्ण रूप से स्पष्ट है कि वक़्फ़ संपत्ति की बिना अनुमति खरीद बिक्री के सम्बन्ध में भारत के किसी भी थाने में सीधे एफआईआर दर्ज कराने का और पुलिस को विवेचना करने का कोई प्रावधान ही नही है लेकिन अगर कोई अधिकारी ही गुंडागर्दी पर उतर कर कानून का दुरुपयोग करे और जिले के आला अधिकारी ऐसे अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही न करें तो इसमें क्या किया जा सकता है ।।  और लोकतंत्र और संविधान और कानून का गला घोंटने से कौन बचा सकता है ।


     बहरहाल वक़्फ़ अधिनियनम का उल्लंघन करके वक़्फ़ अधिनियनम संशोधन 2013 से पूर्व के निष्क्रिय व अमान्य हो चुके  शासनादेशों का हवाला देकर थानों में फर्जी एफआईआर दर्ज कराकर उगाही करने का खेल जारी है । और अल्पसंख्यक अधिकारी के खिलाफ खबर लिखने और प्रेस कॉन्फ्रेंस करके भ्रष्टाचार उजागर करने के कारण पत्रकार सुरक्षा बिल की मांग करने वाले राष्ट्रीय संगठन अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के पदाधिकारी अतहर कमाल उर्फ समीर शाही को फंसाने की पूर्व नियोजित साजिश की जा रही है । आखिर अल्पसंख्यक अधिकारी अमृता सिंह ने अपने खिलाफ खबर लिखने का समीर शाही से बदला जो लेना है ।


     

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