आर्थिक पैकेज का मूल्यांकन ::: वरिष्ठ पत्रकार कांति प्रसाद की कलम से
नई दिल्ली । मित्रों ! अर्थशास्त्र का विधार्थी नहीं रहा बहुत अधिक ज्ञान नहीं है बहुत मोटा मोटा सा ज्ञान है कि कोई भी आर्थिक पैकेज है अथवा आर्थिक बजट है उसमें बहुत ही स्पष्टता से यह उल्लेख होता है कि इस इस श्रोत से धन आयेगा और इस इस मध्य में खर्च होगा । और यदि खर्च करनें वाले श्रोत को उजागर नहीं किया जाता है तो समझ लैना चाहिए सब जुबानी जमा खर्च है ! आप विचार करके बताइए कितने ही बढिया बढिया शब्दों मैं कितने ही कलात्मक ढगं से वक्तव्य प्रसारित हो मन तो प्रसन्न हो सकता है परन्तु उदर कि पूरती असंम्भव है जबकि जिन्दा रहने के लिए दोनों कि पूरती आवश्यक है ।
कोरोना महामारी के मध्यनजर देश हित सोचकर मौन रहते हो तो इतना अवश्य समझ लीजिये आने वाली पीढी जब अपने अतीत से आपकी नंपुसकता पर प्रश्न चिन्ह उठायेगी , तो क्या जवाब दोगे ???
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