गाज़ियाबाद मे फर्जी स्कूल का भंडाफोड़, माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने जिलाधिकारी गाज़ियाबाद को फर्जी स्कूल की मान्यता साबित करने के लिये दिया एक सप्ताह का समय


  •  फर्जी स्कूल के ट्रान्सफर सर्टिफिकेट पर ABSA के हस्ताक्षर  द्वारा  मान्यता प्राप्त लिखे जाने की सूचना

  •  सूत्रों के अनुसार गाज़ियाबाद मे चल रहे है सैकड़ों फर्जी स्कूल, माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद क्या जिलाधिकारी गाज़ियाबाद अजय शंकर पाण्डेय लेंगे संज्ञान 
       
    -- यदि जिला प्रशासन द्वारा सभी फर्जी स्कूलों के पिछले पाँच सालों मे जारी किये गये सर्टिफिकेटों का ब्योरा इकट्ठा कर लिया जाये तो हजारों की तादाद मे एबीएसए की फर्जी संस्तुतियाँ मिल सकती है : सूत्र   

  • माननीय उच्च न्यायालय के अधिवक्ता जवाहिर यादव लाये उच्च न्यायालय के संज्ञान मे मामला


माननीय उच्च न्यायालय ने जिलाधिकारी गाज़ियाबाद को अपना पक्ष रखने के लिये एक सप्ताह का समय दिया है : जवाहिर यादव, अधिवक्ता, उच्च न्यायालय इलाहाबाद I   


 
शिक्षा व्यवस्था को लेकर उत्पन्न हुये  सवाल :


-- क्या इस फर्जीवाड़े के मामले मे फर्जी स्कूल के खिलाफ होगी एफआईआर
-- यदि एबीएसए के हस्ताक्षर व मोहर सही पायी जाती है तो क्या एबीएसए व फर्जी स्कूल के इस फर्जीवाड़े की दर्ज होगी एफआईआर
-- क्या जवाहर नवोदय विध्याल्य छात्रा का लेगा एड्मिशन
-- यदि छात्रा का एड्मिशन नहीं लेता है विद्यालय तो क्या होगा छात्रा का भविष्य
-- एड्मिशन न होने की स्थिति मे बच्चे की शिक्षा के कई साल कैसे होंगे वापस
-- दशकों से खुलेआम चल रहे बिना मान्यता प्राप्त स्कूल मे छात्र दाखला ले रहे है बीएसए कार्यालय द्वारा लगभग एक दशक मे भी प्रभावी कार्यवाही करने मे असफल है तो इस मामले मे कौन दोषी
-- क्या शुरू होगी फर्जी स्कूलों की जांच पड़ताल
-- क्या फर्जी स्कूल कराये जाएँगे बन्द
-- आखिर पिछले एक दशक मे फर्जी स्कूलों को बन्द कराने की क्यो नहीं हो सकी कार्यवाही
-- शिक्षा मे आखिर कब तक होगा छात्रों व अभिभावकों के साथ फर्जीवाड़ा
-- मामला संज्ञान मे आने के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी गाज़ियाबाद कार्यालय द्वारा आकाश स्कूल के विरुद्ध क्या की जायेगी कोई कार्यवाही
-- 2011 से बिना मान्यता के कैसे चल रहा है स्कूल क्या बीएसए कार्यालय की नहीं बनती है ज़िम्मेदारी
 -- क्या शिक्षा विभाग की ढील के बिना सम्भव है जनपद गाज़ियाबाद मे लगभग एक दशक तक खुले आम बिना मान्यता के स्कूल चलाना
 
सुमेरा टाईम्स I गाज़ियाबाद I जनपद गाज़ियाबाद एक ऐसा जिला है जो राष्ट्रिय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सीमा से सटा हुआ है और एनसीआर क्षेत्र मे आता है यही नहीं प्रदेश के अहम जिलों मे से माना जाता है बावजूद इसके जिले मे सैकड़ों स्कूल बिना मान्यता के चल रहे है और हैरतअंगेज बात तो यह है कि इन फर्जी स्कूलों के प्रमाण पत्रों पर एबीएसए ( खण्ड विकास अधिकारी द्वारा मान्यता प्राप्त लिखकर संस्तुति की जा रही है ) करीब चार पाँच वर्ष पहले सुनने मे आया था कि बीएसए कार्यालय मे बहुत बड़ा खेल चल रहा है और एबीएसए मात्र दो दो सौ रूपये लेकर फर्जी स्कूलों के प्रमाण पत्रों पर हस्ताक्षर कर रहे है और संस्तुति कर रहे है और जिले मे सैकड़ों स्कूल बिना मान्यता के चल रहे है उस समय सुनने मे अजीब लगा था और यकीन नहीं हुआ था कि क्या कोई एबीएसए स्तर का सरकारी अधिकारी संविधान और शपथ को ताक पर रखकर अपनी सरकारी नौकरी की परवाह न करते हुये ऐसा घिनौना काम कर सकता है और कोई व्यक्ति खुले आम बिना मान्यता के कैसे स्कूल चला सकता है लेकिन जब सुमेरा टाईम्स को उच्च न्यायालय इलाहाबाद मे दायर रिट की जानकारी हुई और आकाश पब्लिक स्कूल नामक डासना स्कूल का ट्रान्सफर सर्टिफिकेट देखा जिसमे लिखा था कि प्रमाणित किया जाता है कि यह विध्यालय मान्यता प्राप्त है और उसपर लिखा देखा खण्ड शिक्षा अधिकारी नगर क्षेत्र गाज़ियाबाद तो करीब 4 पाँच साल पहले सुनी गयी बात का शक विश्वाश मे बदल गया और जो फर्जी स्कूलों को लेकर  शिक्षा अधिकारी कार्यालय और फर्जी स्कूल की जो तस्वीर सामने आई वो बड़ी भयावह है चलिये आपको मामले की ओर लेकर चलते है I 



                दीनानाथपुर पुठी के रहने वाले रविन्दर नामक व्यक्ति की पुत्री छाया ने तीसरी कक्षा से लेकर पाँचवी कक्षा तक आकाश पब्लिक स्कूल ( इंग्लिश मीडियम ) रोहन एंक्लेव डासना गाज़ियाबाद मे पढ़ाई की और इससे आगे पढ़ाई के लिये दूसरे स्कूल मे जाने के लिये जो ट्रान्सफर सर्टिफिकेट आकाश स्कूल डासना द्वारा जारी किया गया उस पर बेसिक शिक्षा अधिकारी गाज़ियाबाद के अधीन एबीएसए ( खण्ड शिक्षा अधिकारी नगर क्षेत्र ) गाज़ियाबाद के हस्ताक्षर मौजूद है जिसमे साफ साफ लिखा है कि प्रमाणित किया जाता है कि यह विद्यालय मान्यता प्राप्त है I कुमारी छाया और उसका परिवार जानकारी से अज्ञान एबीएसए से प्रमाणित ट्रान्सफर सर्टिफिकेट लेकर दाखिला कराने जवाहर नवोदय विध्याल्य कलछीना गाज़ियाबाद पहुंचा और दाखिला कराने की प्रक्रिया शुरू हुई और सभी प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद नवोदय विध्याल्य ने यह कहते हुये दाखिला करने से मना कर दिया कि छात्रा ने जिस स्कूल से पढ़ाई की है वह स्कूल मान्यता प्राप्त नहीं है जरा सोचिये आज के समय मे कोई पिता अपने बच्चों को पढ़ाने के लिये स्कूल भेज रहा है उसका दाखिला करा रहा है वह भी पुत्री की पढ़ाई के लिये प्रयासरत है ये क्या कम है जो यह भी वही जानकारी करे कि सार्वजनिक रूप से खुले आम चल रहे इस स्कूल की मान्यता है भी या नहीं ? आकाश पब्लिक स्कूल कोई एक दो दिन से तो चल नहीं रहा होगा उसमे भी खण्ड विकास अधिकारी गाज़ियाबाद से स्कूल का सर्टिफिकेट प्रमाणित लिखा हुआ हो और खण्ड शिक्षा अधिकारी के हस्ताक्षर बने हो तो कोई भी अभिभावक क्यो और किसलिये उस स्कूल से सवाल करने जायेगा कि आखिर उसका स्कूल कैसे प्रमाणित है सोचने वाली बात है खैर बात यहाँ भी खतम नहीं हुई नवोदय विध्याल्य ने आकाश पब्लिक स्कूल और एबीएसए के फर्जीवाड़े के विषय मे जिलाधिकारी व संबन्धित अधिकारियों को अवगत कराने की बजाय अभिभावक से ही यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि आप आकाश पब्लिक स्कूल से उसकी मान्यता के कागज लेकर आइये तभी हम दाखिला लेंगे कुल मिलाकर एक अभिभावक को उसका काम धन्धा छुड़ाकर उसकी दैनिक मजदूरी छुड़ाकर उसे आकाश स्कूल की मान्यता साबित करने मे रोज स्कूलों के चक्कर लगाने मे लगा दिया गया अभिभावक द्वारा बताया गया कि ट्रान्सफर सर्टिफिकेट आकाश स्कूल द्वारा जारी किया गया है नवोदय विध्याल्य द्वारा एड्मिशन करने के लिये आकाश स्कूल की मान्यता साबित करने के लिये कहा गया है जिसके बाद माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के सामने मामला प्रस्तुत किया गया है  I



                   इस मामले मे जब बीएसए गाज़ियाबाद से बात की गयी तो उन्होने बताया कि हो सकता है एबीएसए के फर्जी साइन और मोहर आकाश स्कूल द्वारा बनाये गये हो आकाश पब्लिक स्कूल डासना की कोई मान्यता नहीं है वहीं बीएसए कार्यालय मे तैनात एक व्यक्ति द्वारा ऑफलाइन ये बताया गया कि ट्रान्सफर सर्टिफिकेट पर जो मान्यता की मोहर पर हस्ताक्षर है वह पूर्व एबीएसए हिमाचल मैडम के लग रहे है  खैर जो भी हो बड़े स्तर पर जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पायेगी कि क्या सही है और क्या गलत है फर्जी स्कूलों के साथ कौन कौन सरकारी अधिकारी अथवा स्कूल इस गैरकानूनी धन्धे और शिक्षा का फर्जीवाड़ा करने मे लिप्त है अथवा फर्जी स्कूलों द्वारा ही इतना बड़ा फर्जीवाड़ा किया जा रहा है I
            बीएसए गाज़ियाबाद कार्यालय मे तैनात लोगों से जब इस बारे मे बात की गयी और उनसे पूछा गया कि आकाश स्कूल की मान्यता है या नहीं तो उनके द्वारा बताया गया कि वर्ष 2006 से लेकर 2011 तक आकाश स्कूल की मान्यता थी लेकिन उसके बाद से अब तक आकाश स्कूल की कोई मान्यता नहीं है साथ ही जब यह पूछा गया कि जब इतने वर्षों से कोई मान्यता नहीं है तो यह स्कूल कैसे चल रहा है आपके कार्यालय द्वारा अब तक कोई एफआईआर स्कूल के खिलाफ क्यों नहीं दर्ज कराई गयी तब जवाब मिला कि समय समय पर ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्यवाही की जाती है और नोटिस भी जारी किये जाते है लेकिन एक्ट मे ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो इन स्कूलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जा सके यदि कोई स्कूल फर्जीवाड़े से बिना मान्यता के चल रहा है तो एबीएसए की ज़िम्मेदारी है कि उस पर कार्यवाही करे और कराये I अब सोचने वाली बात है एक्ट मे फर्जी स्कूल चलाने वालों के खिलाफ एफआईआर का कोई प्रावधान हो या ना हो लेकिन आईपीसी और सीआररपीसी के तहत तो देश के लगभग सभी मामलों मे कार्यवाही सम्भव है यदि पूर्व एबीएसए द्वारा स्कूल के साथ मिलकर ट्रान्सफर सर्टिफिकेट पर मान्यता को प्रमाणित किया गया है तो भी आईपीसी की धाराओं के तहत फर्जीवाड़े की एफआईआर दर्ज हो सकती है और यदि स्कूल द्वारा एबीएसए की फर्जी मोहर व फर्जी हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया गया है तो भी आईपीसी की धाराओं के तहत इस फर्जीवाड़े की एफआईआर सम्भव है अब देखना होगा कि बीएसए और जिलाधिकारी गाज़ियाबाद इस मामले मे क्या प्रभावी कदम उठाते है I    



                इस प्रकरण मे अन्त मे थक हारकर छात्रा के पिता द्वारा माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया है और बच्चे के भविष्य को लेकर चिन्ता जाहिर करते हुये दाखिले के लिये प्रार्थना की गयी है जिस पर माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा जिलाधिकारी गाज़ियाबाद को स्कूल की मान्यता के सम्बंध मे अपना पक्ष रखने के लिये एक सप्ताह का समय दिया गया है  I  


              ऐसा नहीं है कि फर्जी स्कूलों के बारे मे शिक्षा विभाग को जानकारी नहीं है बल्कि जानकारी का आलम यह है कि सचिव उत्तर प्रदेश शासन बेसिक शिक्षा अनुभाग – 1 लखनऊ शासनादेश संख्या – 1063 / अड़सठ–3–2019 दिनांक – 31.07.2019 के अनुसार वर्तमान मे भी यह शासनादेश जारी किया गया है कि नि:शुल्क एवं बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 लागू होने के पश्चात बिना मान्यता प्राप्त किये कोई स्कूल स्थापित / संचालित नहीं किया जायेगा I  
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            इस मामले मे जब जिलाधिकारी गाज़ियाबाद अजय शंकर पाण्डेय से बात की गयी तो उन्होने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय का आदेश है तो उसका पालन किया जायेगा जो भी दोषी पाया होगा उसके खिलाफ कार्यवाही की जायेगी  : अजय शंकर पाण्डेय, जिलाधिकारी, गाज़ियाबाद I


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            इस मामले मे जब बेसिक शिक्षा अधिकारी गाज़ियाबाद राजेश कुमार श्रीवास्तव से बात की गयी तो उन्होने कहा कि आकाश पब्लिक स्कूल डासना की कोई मान्यता नहीं है यदि आकाश स्कूल के ट्रान्सफर सेर्टिफिकेट पर एबीएसए की मान्यता की मोहर लगी है और एबीएसए के हस्ताक्षर है तो यह भी हो सकता है कि आकाश स्कूल द्वारा फर्जी मोहर लगाई गयी हो फर्जी हस्ताक्षर किये गये हो जांच के बाद आवश्यक  कार्यवाही हो सकेगी : राजेश कुमार श्रीवास्तव, बेसिक शिक्षा अधिकारी गाज़ियाबाद I 
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               इस मामले मे उच्च न्यायालय इलाहाबाद के अधिवक्ता जवाहिर यादव ने कहा कि उन्होने शिक्षा को लेकर हो रहे खिलवाड़ के मामले का माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के सामने रखने का प्रयास किया है जिस पर माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा संज्ञान लिया गया है और जिलाधिकारी गाज़ियाबाद को अपना पक्ष रखने के लिये और आकाश पब्लिक स्कूल की मान्यता है या नहीं, स्पष्ट करने के लिये एक सप्ताह का समय दिया है : जवाहिर यादव, अधिवक्ता, माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद I  
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                इस मामले मे जब जवाहर नवोदय विध्याल्य के प्रधानाचार्य पीयूष राय से बात की गयी तो उन्होने कहा कि इस मामले मे हमे कुछ नहीं कहना है जो कहना है माननीय न्यायालय को कहना है हमारे द्वारा अभी दाखिला निरस्त नहीं किया गया है अभिभावक को समय दिया गया है : सुनील राय, प्रधानाचार्य, नवोदय विद्यालय, पिलखुआ गाज़ियाबाद I       


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